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दवाई का भंडार हैं भारत में खिलने वाले फूल, जानकर आप भी होंगे हैरान

Flowers of India: फूल, पुष्प अथवा फ्लॉवर यें सब सुगंधित करने वाले फूलों के पर्यावाची शब्द हैं। क्या आपको पता है कि भारत में पाए जाने वाले दर्जनों फूल ऐसे भी है जिनमें दवाई यानि कि औषधियों का भंडार छुपा हुआ है। हम आपको भारत में खिलने वाले कुछ फूलों के दवाई से भरपूर गुणों की जानकारी दे रहे हैं।

प्रकृति का गिफ्ट होते हैं फूल

आपको पता है कि पुष्प प्रकृति के अनुपम उपहार हैं। जहाँ वे ठीक अपने सतरंगी सौंदर्य के साथ परिवेश में अपनी की रंगत बिखेरते हैं तो वहीं अपने औषधीय गुणों के कारण इंसान एवं जीव-जंतुओं के जीवन को भी समृद्ध करते हैं। प्रस्तुत है यहाँ कुछ ऐसे ही औषधीय गुणों से भरपूर पुष्प, जो एक ओर जहाँ जीवन को सुंदर बनाते हैं तो वहीं दूसरी ओर हमारे है स्वास्थ्य के लिए वरदान भी सिद्ध होते हैं।

एंटी-सेप्टिक होता है गेंदे का फूल

गेंदा एक लोकप्रिय फूल है, जो प्राय: माला में गुँथकर पर्व-त्योहारों एवं उत्सवों की शोभा बढ़ाता है, जबकि गेंदे का उपयोग एक सजावटी फूल से कहीं अधिक है। गेंदा अपने एंटी-सेप्टिक, एंटी- इंफ्लामेटरी, एंटी-स्पास्मोडिक जैसे और गुणों के लिए जाना जाता है, जिनके आधार पर यह रक्त परिसंचरण, सिरदरद, घाव, दाँतों में दर्द व गले की खराश में अत्यधिक लाभदायक रहता है। गेंदे का सेवन पाचन तंत्र को विषमुक्त (डिटोक्स) करने में सहायक रहता है व शरीर को संक्रमण से बचाता है। इसका उपयोग चाय बनाने में भी किया जाता है। गेंदे के बीज को एकत्र कर मिसरी के साथ सेवन करने पर यह एक बलवर्द्धक औषधि का कार्य करता है तथा इससे दमे व खाँसी की शिकायत में लाभ मिलता है। गेंदे के पुष्प को नारियल तेल के साथ कुचलकर व मिलाकर मालिश करने पर सिर के संक्रमण व फोड़े-फुंसियों में आराम मिलता है।

स्किन ठीक करता है कैलेंडुला का फूल

इसी तरह कैलेंडुला फूल की पंखडय़िों का उपयोग कटने, जलने व घावों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। अपने जीवाणुरोधी गुणों  के कारण यह त्वचा स्थित चकत्ते व मुँहासों को ठीक करने में उपयोग किया जाता है। यह मांसपेशियों की ऐंठन को ठीक करता है तथा मासिक धर्म के दिनों में राहत देता है। कैलेंडुला अपने कसैले गुणों के कारण मुख के स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करता है।

गुड़हल का फूल

गुड़हल एक अन्य प्रचलित फूल है, जो लाल, गुलाबी, सफेद, पीले और नारंगी रंग में पाया जाता है। गुड़हल में लौह-तत्त्व, विटामिन बी, सी और एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। यह प्रदर, बालों की समस्या और सरदी- ढ़ाता जुकाम जैसे रोगों में लाभदायक रहता है। यह दस्त, बवासीर, रक्तस्राव के साथ बालों के झडऩे व खाँसी आदि में भी लाभकारी होता है। गुड़हल के ताजे लाल फूलों को कुचलकर रक्त इसके रस को नहाते समय बालों पर हलका- हलका रगड़ा जाए, तो यह एक बेहतरीन कंडीशनर का काम करता है।

गुड़हल की पत्तियों की चाय के सेवन से सर्दी, जुकाम व निम्न रक्तचाप में राहत को मिलती है। गुड़हल के फूल को गोमूत्र के साथ पीसकर कर लगाने से बालों के झडऩे व सफेद होने की समस्या में लाभ मिलता है। गुड़हल के फूल को सरसों या गाँसी नारियल के तेल के साथ उबालने के बाद जो तेल बनता है, वह शिरोरोग में उपयोग किया जाता है।

गुलाब का फूल

गुलाब का सुंदर फूल कई रंगों में पाया जाता के है व अपनी विशिष्ट खुशबू के साथ यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसकी पंखडियाँ भीनी सुगंध के साथ मीठा स्वाद लिए होती हैं। इसमें टैनिन विटामिन ए, बी, सी और ई होते हैं। यह आवश्यक तेलों से भी युक्त होता है। इसके फूल के रस का उपयोग शरीर की गर्मी और सिरदर्द को कम करने के लिए किया जाता है। इसे शीत प्रकृति का माना जाता है, जिस कारण यह एसिडिटी व पेट के लिए बहुत लाभकारी रहता है व पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने में सहायता करता है।

गुलाब के जल से आँखों की जलन दूर होती है व त्वचा संबंधी समस्याओं में गुलाब का लेप सहायक रहता है। कब्ज को कम करने के लिए गुलाब की चाय का सेवन किया जा सकता है। अपनी सुगंध, व औषधीय गुणों के कारण गुलाब की पंखडिय़ों से बना गुलकंद-पान आदि में बहुतायत में उपयोग किया जाता है। अपने एंटी- इंफ्लामेटरी गुणों के कारण गुलाब जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत दिलाने में कारगर माना जाता है। विटामिन-सी से भरपूर गुलाब समग्र स्वास्थ्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट है। गुलाब की पंखडियाँ व शरबत हृदय रोग में उपयोगी रहते हैं व चिंता-अवसाद से लडऩे में सहायता करते हैं।

गुलदाउदी का फूल

गुलदाउदी का फूल सर्दी, सिरदर्द, आँखों में सूजन, गले में खराश और फोड़ों से संबंधित उपचार में चीनी चिकित्सा का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसका फूल उच्च रक्तचाप, मधुमेह, बुखार, सूजन और चक्कर की स्थिति में सुधार में सहायक रहता है। गुलदाउदी के पत्तों के लेप से सिरदरद में राहत मिलती है व इसके पत्तों को चबाने से छालों में लाभ होता है। इसके सूखे फूल से पथरी में लाभ होता है।

सूरजमुखी का फूल

सूरजमुखी भी एक उपयोगी फूल है। मैग्नीशियम, पोटैशियम, जस्ता और लौह जैसे पोषक तत्त्वों से भरपूर सूरजमुखी के बीज हृदय, पाचन और मस्तिष्क के कार्य में लाभदायक रहते हैं। सूरजमुखी का तेल हृदय की समस्याओं, मोटापे और अपच से जुड़े रोगों को रोकता है। यह त्वचा में नमी बनाए रखता है, अत: मालिश में इसका उपयोग किया जाता है। इसका बीज विटामिन व खनिज तत्त्वों से भरपूर होता है, जिसका कुकिंग तेल बनाया जाता है।

इसके फूल की पत्तियों व बीजों का सेवन किया जाता है। इसके साथ केसर ठंढे क्षेत्रों में पाए जाने वाला एक सुगंधित एवं बहुत सुंदर पुष्प है। कश्मीर में इसे बहुतायत में उगाया जाता है। इसके पुष्प के वर्तिकाग्र (फिलामेंट) को एक । गुणकारी औषधि के रूप में उपयुक्त किया जाता है । तथा यह काफी महँगी औषधि के रूप में कार्य करता है, जिसका न्यून मात्रा में ही उपयोग किया – जाता है। मिठाइयों, बिरयानी, शीत पेय व अन्य मीठे व्यंजनों में रंग और स्वाद बढ़ाने के लिए [ इसका उपयोग किया जाता है। इसे गरम प्रकृति का । माना जाता है व यह पेट की समस्याओं को दूर करने में लाभकारी रहता है।

कमल का फूल

कमल एक जाना-पहचाना पावन पुष्प है, जो सफेद या गुलाबी रंग लिए होता है। यह भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है और पूर्वी संस्कृतियों में एक पवित्र फूल माना जाता है। भारतीय उपासना स्थलों पर इसका पूजा में उपयोग किया जाता है। कमल के पुष्प में विटामिन-ए, बी और सी पाया जाता है। इसके फूलों से बनाई चाय बहुत लाभकारी होती है। इसके तनों की स्वादिष्ट सब्जी भी बनती है। अपने औषधीय गुणों के कारण कमल त्वचा रोग, जलन, दस्त और ब्रोंकाइटिस के उपचार में सहायता करता है।

चमेली का फूल

इसी तरह जास्मिन या चमेली एक एंटीवायरल गुणों से भरपूर पुष्प है, जिसका सलाद व मिठाई में उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों को खाने से मुँह के छाले, बवासीर, पेट के कीड़े, दाद-खाज आदि से राहत मिलती है। चमेली की चाय चिंता, अनिद्रा, आदि रोगों में लाभदायक रहती है। इसमें श्वास व रक्तचाप को नियंत्रण करने का गुण होता है, अत: अवसाद में इसका उपयोग किया जाता है। पाचन समस्याओं, मासिक धर्म के दर्द और सूजन को कम करने में यह सहायक रहता है। इसके साथ शरीर दर्द व ऐंठन में चमेली का तेल उपयोग किया जाता है। बालों के स्वास्थ्य एवं पोषण में इसका विशिष्ट महत्त्व रहता है। इसी तरह हरसिंगार का फूल एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-रुमेटिक गुणों से भरपूर है व साइटिका, माइग्रेन, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों में बहुत उपयोगी होता है।

हरसिंगार की पत्तियां हैं दवाई की खजाना

हरसिंगार की पत्तियों के काढ़े या इसके सूखे पत्ते के चूर्ण का पानी के साथ नियमित रूप से प्रयोग करने से साइटिका के रोग से राहत मिलती है। हरसिंगार के फूलों से बनी चाय पीने से माइग्रेन में आराम मिलता है।

सदाबहार का फूल

सदाबहार का फूल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके पौधे में सौ से अधिक एल्केलॉयड्स पाए जाते हैं, जो बहुत लाभदायक होते हैं। सदाबहार मधुमेह, रक्तचाप व कैंसर में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके फूलों को पानी में  उबालकर-छानने के बाद प्रात: खाली पेट पीने पर मधुमेह को बहुत सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। एवं सदाबहार की चार ताजा पत्तियों को खाकर तरह भी इस तरह का लाभ लिया जा सकता है।

रक्तचाप यरल में सदाबहार की जड़ों को साफ कर प्रात: खाली  पेट चबाने व इसके रस को चूसने से लाभ मिलता है। इसकी पत्तियों की चटनी बनाकर सेवन करने से कैंसर के रोगियों को लाभ मिलता है व इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता। इस तरह ये पुष्पों के अद्भुत संसार के कुछ उपयोगी उदाहरण हैं, जिन्हें घर-आँगन व खेत खलियान में उगाकर परिवेश की सौंदर्य-वृद्धि की जा सकती है और इनके औषधीय गुणों को समझते हुए इनसे लाभान्वित भी हुआ जा इसके सकता है।

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता प्रदान करना है। यह जानकारी किसी भी चिकित्सीय परामर्श, निदान, या उपचार का विकल्प नहीं हो सकती है। यहाँ प्रस्तुत औषधीय गुणों और उपयोगों को केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए बताया गया है और इन्हें अपनाने से पहले किसी योग्य चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।

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