किसकी पूजा करते हैं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी, जानिए उस महान हस्ती को
Guru Gorakhnath Ji: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खूब चर्चा में रहते हैं। उत्तर प्रदेश के CM योगी एक साधारण योगी से भारत के सबसे बड़े प्रदेश की सबसे बड़ी कुर्सी यानि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक सवाल पूछा जाता है कि उत्तर प्रदेश के CM योगी किसकी पूजा करते हैं? हम आपको इस सवाल का जवाब विस्तार से बता देते हैं।
गुरू गोरखनाथ जी के पुजारी हैं उत्तर प्रदेश के CM योगी
उत्तर प्रदेश के CM योगी गुरू गोरखनाथ जी की पूजा करते हैं। उत्तर प्रदेश के CM योगी गोरखपुर में स्थित गुरू गोरखनाथ मंदिर के महंत हुआ करते थे। सवाल उठता है कि गुरू गोरखनाथ जी कौन हैं? गुरू गोरखनाथ जी का पूरा परिचय हम आपको दे रहे हैं।
गुरू गोरखनाथ जी का परिचय
भारत में समाज सुधार आंदोलनों में ऐसे अनेक महापुरुषों का योगदान रहा है जिन्होंने समाज में नैतिकता और आदर्श की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए। ऐश ही एक महान संत गुरु गोरखनाथ जी थे जो समग्र भारत में भ्रमण करते हुए धर्म और नैतिक जीवन जीने को प्रेरणा प्रदान करने में आजीवन लगे रहे।
गोरखनाथ जी का भारत के धार्मिक इतिहास में बड़ा महत्त्व है। विभिन्न विद्वानों ने गोरखनाथ जी का समय ईसा की नवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक माना है। गुरु गोरखनाथ जी मत्स्येंद्र नाथ जी के शिष्य एवं नाथ साहित्य एवं संप्रदाय के आरंभकर्ता माने जाते हैं। उन्होंने अपने विचारों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए लगभग चालीस ग्रंथों की रचना की।
गोरखनाथ जी ने अपनी रचनाओं में जीवन की अनुभूतियों का सघन चित्रण करते हुए गुरु-महिमा, इंद्रिय-निग्रह, प्राण साधना, वैराग्य, कुंडलिनी जागरण, शून्य समाधि आदि का वर्णन किया है। गुरु गोरखनाथ जी ने सांप्रदायिक मान्यताओं को खारिज करते हुए जगत् में मानव सहित सभी जीवों, वनस्पतियों आदि से प्रेम और मैत्री का भाव धारण करने का उपदेश दिया। गुरु गोरखनाथ जी की रचनाओं में प्रखर सामाजिक चेतना एवं सामाजिक हित दिखलाई पड़ता है। गुरु गोरखनाथ जी समाज को बाँटने वाली शक्तियों से सावधान करते हैं और समाज में व्याप्त कुरीतियों और वाह्य आडंबरों पर आक्रमण करते हैं।
गोरखनाथ जी के आविर्भाव स्थान के संबंध में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। अधिकांश विद्वान इनका जन्म क्षेत्र जालंधर, पंजाब को मानते हैं। गुरु गोरखनाथ जी परिव्राजक संत थे और प्रगतिशील विचारों का पक्ष पोषण करते थे। गुरु गोरखनाथ जी ने लोकमंगल की भावना से बौद्ध, शैव, शाक्त आदि पूर्ववर्ती संप्रदायों को एकीकृत करके उनकी जटिलताओं को दूर करते हुए सरल एवं सादगीपूर्ण व्यवस्था का निर्माण कर धर्म को सर्वसुलभ बनाया। संतोष, अहिंसा एवं जीवों पर दया गोरखनाथ का मूल मंत्र था। गोरखनाथ जी का अभिमत था कि धीर वही है जो चित्त विकार के साधन सुलभ होने पर भी चित्त को विकृत नहीं होने देता-
“नौ लख पातरि आगे नाचै, पीछे सहज अखाड़ा। ऐसो मन लै जोगी खेलै तव अंतरि बसै भंडारा।।”
गोरखनाथ जी की एक पुरातन मूर्ति ओदाद्र, पोरबंदर, गुजरात के गोरखनाथ मठ में स्थापित है। इसी प्रकार गोरखनाथ जी का एक भव्य एवं विशाल मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थापित है। कहा जाता है कि इन्हीं के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा। नेपाल में एक जिला है गोरखा, इस जिले का नाम गोरखा भी इन्हीं के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ यहाँ कुछ समय तक रहे थे। गोरखा जिले में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ जी के पग चिह्न और उनकी एक मूर्ति है।
यहाँ प्रति वर्ष वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे ‘रोट महोत्सव’ कहते हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर में भी प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी महोत्सव का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इन परंपराओं को गुरु गोरखनाथ जी ने ही आरंभ किया था।
गुरु गोरखनाथ जी ने जीवन की शुद्धता बनाए रखने पर बल दिया। जीवन की शुद्धता के लिए धन संचय से दूर रहने की प्रेरणा गोरखनाथ के काव्य में स्पष्ट दिखाई देती है। गुरु गोरखनाथ जी एक महान रचनाकार भी थे। डॉ0 पीतांबर दत्त वड़थ्वाल की खोज में इनके द्वारा रचित चालीस पुस्तकों का पता चला था। इनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं- सबदी, पंद्रहतिथि, मछिंद्र गोरखबोध, ग्यान चौतिसा, शिष्ट पुराण, नवग्रह, गोरख वचन, अष्टचक्र।
गुरु गोरखनाथ ने अपने जीवन काल में, त्याग में सुख है’ के सिद्धांत पर चलते हुए भारत के गाँव-गाँव जाकर ऐश्वर्य और सुख भोग को मुक्ति मार्ग का बाधक और संतोष एवं सदाचार को मानव जीवन का मूल बताया। गाँव-गाँव में जाकर उपदेश देने के कारण इस महान तपस्वी की अमर वाणी लाखों भारतीयों हेतु प्रेरणा बन गई। गुरु गोरखनाथ जी त्याग, साहस, शौर्य के साक्षात् प्रतीक थे। नि:संदेह इस महान गुरु के महान संदेश अनंत काल तक मानव को मर्यादित एवं आदर्श जीवनयापन की प्रेरणा देते रहेंगे।